श्रीमद् भागवत कथा में समुद्र मंथन का वर्णन हुआ।

श्रीमद् भागवत कथा में समुद्र मंथन का वर्णन हुआ।




 टुबहड़ बलिया- स्थानीय क्षेत्र के घोड़हरा स्थित महंथ जी के मठिया पर तृतीय दिन शुक्रवार को आचार्य पंडित सिद्धनाथ ने श्रीमद्भागवत कथा में समुद्र मंथन और अजामिल की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन, श्रद्धा या जाने अनजाने में भी भगवान को याद करता है। उस पर कभी कोई संकट नहीं आता। अमृत प्राप्ति के लिए जब असुरों और देवताओं में समुद्र मंथन होने लगा तो उस समय समुद्र मंथन से हलाहल नामक अत्यंत उग्र विष निकला। इससे बचने के लिए सभी देवताओं, ऋषि मुनि भगवान शिव की स्तुति करने लगे।हलाहल विष के कारण संपूर्ण जगत पर आए संकट को देखते हुए भगवान शंकर ने जगत कल्याण के लिए स्वयं विश्व का पान कर लिया। जिससे उनका कंठ भी नीला पड़ गया। 
सदाचारी ब्राह्मण अजामिल जो गलत संगत में पड़कर दुराचारी हो गया था। लेकिन अंत समय मृत्यु शैय्या पर अपने पुत्र नारायण का नाम ले लिया। जिसके कारण उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई और वह यम की दंड यात्रा से बच गया। इस मौके पर अभिषेक कुमार पांडेय, संजीत कुमार पांडेय, अंजनी कुमार पांडेय, राकेश कुमार पांडेय, महेशानंद गिरि, पूर्व प्रमुख उर्मिला गिरी, पूर्व प्रधान उषा गिरी, रामबली सिंह, उमा गोस्वामी, चंद्रा शर्मा, अंशु गिरी, अमोल गिरी, संजय पटेल, चिरंतन गुप्ता, संतोष खरवार आदि उपस्थित रहे।

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